कनपुर स्थित प्रतिष्ठित छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) ने हाल ही में एक ऐसा निर्णय लिया है, जिसे रोजगार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। विश्वविद्यालय ने सभी रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और साइबर सिक्योरिटी की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय न केवल तकनीकी युग की माँगों को पूरा करता है, बल्कि छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि विश्वविद्यालय अब पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर विद्यार्थियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में जुटा है।

फैसला क्यों अहम है?
आज का समय डिजिटल क्रांति का समय है। लगभग हर क्षेत्र जैसे सरकारी सेवाएँ, निजी कंपनियाँ, स्टार्टअप, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या कृषि ; तकनीकी उपकरणों और डाटा की मदद से तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि विद्यार्थियों को डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ सुरक्षा की भी जानकारी हो। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सिक्योरिटी की समझ छात्रों को तकनीकी जोखिमों को पहचानने, रोकने और समाधान देने के लिए तैयार करती है। रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की प्रकृति ही ऐसी होती है कि वे विद्यार्थियों को किसी विशेष व्यवसाय या कार्यक्षेत्र के लिए दक्ष बनाते हैं। ऐसे पाठ्यक्रमों में AI और साइबर सिक्योरिटी को जोड़ने से उनकी उपयोगिता और प्रासंगिकता और अधिक बढ़ जाती है, जिससे छात्र सीधे जॉब-रेडी बन सकें।
CSJMU का नया पाठ्यक्रम मॉडल
CSJMU द्वारा प्रस्तावित नए पाठ्यक्रम ढांचे के अंतर्गत AI और साइबर सिक्योरिटी को सभी रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में अनिवार्य किया गया है। यह विषय वैकल्पिक नहीं होंगे, बल्कि हर छात्र को इन्हें पढ़ना आवश्यक होगा। विश्वविद्यालय इन विषयों को आधुनिक तरीके से पढ़ाएगा, जिसमें ऑनलाइन प्रशिक्षण, वर्चुअल लैब्स और प्रयोगात्मक सेशन्स शामिल होंगे। विशेष बात यह है कि CSJMU इस निर्णय को अमल में लाने के लिए IIT कानपुर जैसे संस्थानों का सहयोग ले रहा है। IIT कानपुर के C3iHub और CSJM Innovation Foundation (CSJMIF) के साथ मिलकर छह महीने का साइबर सिक्योरिटी कोर्स शुरू किया गया है, जिसे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाया जाएगा। इस कोर्स की मदद से छात्रों को असली साइबर हमलों की जानकारी, डाटा की रक्षा और सुरक्षा प्रणाली तैयार करने जैसी जमीनी समझ दी जाएगी।
रोजगार अवसरों पर असर
AI और साइबर सिक्योरिटी को अनिवार्य बनाना रोजगार की दृष्टि से अत्यंत सकारात्मक कदम है। यह छात्रों को उन क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए तैयार करेगा, जो आने वाले दशकों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले हैं। छात्रों को आईटी सेक्टर में साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ, नेटवर्क सिक्योरिटी इंजीनियर और डेटा साइंटिस्ट जैसी भूमिकाओं में रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, सरकारी एजेंसियों जैसे CERT-In और डिजिटल इंडिया मिशनों में भी उनके लिए अवसर खुलेंगे। जो छात्र स्वरोजगार या स्टार्टअप की दिशा में जाना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कोर्स उपयोगी होगा, क्योंकि वे अपनी सेवाओं को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर बेच सकते हैं, फ्रीलांसिंग कर सकते हैं और सुरक्षा-केंद्रित समाधान पेश कर सकते हैं।
क्या मिलेगा छात्र‑छात्राओं को?
CSJMU के छात्र इस निर्णय से कई तरह से लाभान्वित होंगे। सबसे पहले, उन्हें आधुनिक तकनीक के प्रयोगात्मक अनुभव का लाभ मिलेगा, क्योंकि वर्चुअल लैब्स में उन्हें साइबर अटैक का रियल टाइम डेमो देखने और उसका समाधान निकालने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही, कोर्स पूरा होने पर उन्हें उद्योग द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र दिए जाएंगे, जो उन्हें नौकरी के लिए और अधिक उपयुक्त बनाते हैं। विश्वविद्यालय की प्लेसमेंट टीम इस कोर्स के बाद छात्रों को इंटर्नशिप, प्रोजेक्ट्स और कंपनियों के साथ जोड़ेगी, जिससे वे व्यावसायिक दुनिया की वास्तविक चुनौतियों से रूबरू हो सकें।
निष्कर्ष
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय द्वारा रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में AI और साइबर सिक्योरिटी को अनिवार्य बनाना समय की माँग के अनुसार एक बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय है। यह कदम विद्यार्थियों को तकनीकी तौर पर सशक्त बनाता है और उन्हें न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के बाजार में भी प्रतिस्पर्धी बनाता है। इस फैसले से छात्रों को बेहतर रोजगार, आत्मनिर्भरता और डिजिटल भारत के निर्माण में योगदान देने का अवसर मिलेगा। यह केवल शिक्षा में बदलाव नहीं, बल्कि एक सोच में क्रांति है ; जिसमें ज्ञान के साथ-साथ सुरक्षा और नवाचार भी समाहित है।
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